कुछ तजुर्बे ज़िन्दगी के कुछ तजुर्बे ज़िन्दगी के
मगर, यह गुजरती भी नहीं, अपनों के बिना। मगर, यह गुजरती भी नहीं, अपनों के बिना।
कभी हँसती, कभी हँसाती। कभी हँसती, कभी हँसाती।
गर वापस छिनना ही था हर कुछ तो एहसास ही कराया क्यूँ। गर वापस छिनना ही था हर कुछ तो एहसास ही कराया क्यूँ।
तेरी हर बात हम सुनते रहे, जब तुझसे कुछ कहते दस्तुर -ए जिंदगी, तब तक तू गुजर जाती तेरी हर बात हम सुनते रहे, जब तुझसे कुछ कहते दस्तुर -ए जिंदगी, तब तक त...
सिर्फ बोलना ही सबकुछ वहीं, आगे आओ देशवासी होने की ज़िम्मेदारी निभाओ सिर्फ बोलना ही सबकुछ वहीं, आगे आओ देशवासी होने की ज़िम्मेदारी निभाओ